मेरी माँ जब रसोई में कुछ तलती हैं, तो बचे हुए तेल को संभाल कर रख देती हैं। इस तेल को दढेल तेल कहा जाता है। इस तेल का उपयोग कभी कभी बाद के किसी दिन कुछ तलने के लिए या किसी सब्ज़ी को बनाने के लिए किया जाता है। दढेल तेल में तली पूरियाँ या बनी सब्ज़ी, कभी वैसा स्वाद नहीं दे पाती जैसा ताजे तेल में बनकर देती हैं, पर दढेल तेल का उपयोग, तेल कि wastage जरूर कम कर देता है। Coolie No. 1 भी एक ऐसे ही दढेल तेल में पकी पूरी जैसा स्वाद देती है।
इस पूरे article में मैं हिन्दी और English का mixture use करने वाला हूँ। क्या है कि पढ़ने में आम तौर पर हम या तो English पढ़ते हैं या फिर हिन्दी। पर बोलते time हम लोग दोनों भाषाओं का एक mixture बोलते हैं। मेरी कोशिश इस article में यह है, कि मैं as close to spoken language, as possible आ पाऊँ। लिखने में तो ये थोड़ा सा मुश्किल जान पड़ रहा है, पर पढ़ने में ये कैसा है ये आप लोग comments में लिख कर बता दीजिएगा।
Christmas की छुट्टी दी office ने, तो मैंने सोच इसका सदुपयोग किया जाए। और मैंने लगा ली पिच्चर। कौन सी पिच्चर देखूँ उसमें मैंने ज्यादा सोचा नहीं, और Amazon PrimeVideo पर सबसे ऊपर दिख रही Coolie no. 1 लगा दी। मैंने गोविंदा वाली Coolie no. 1 देख राखी है तो मुझे एक हल्का फुल्का idea था कि मैं क्या देखने वाला हूँ। और ये कहना ज्यादा गलत नहीं होगा कि मैं surprise नहीं हुआ। David Dhawan इस से पहले भी कुछ remakes बना चुके हैं, जिसमें से कुछ उनकी ही पुरानी films रही हैं। उनको जिस तरह का treatment मिला था, उस से ये अंदाज़ा भी था कि source material में ज्यादा छेड़छाड़ नहीं होगी। बस थोड़ा modernise कर दिया जाएगा। और पूरी कहानी को शायद उठा कर देश के बाहर base कर दिया जाएगा जैसा Judwaa 2 में किया गया था। पर ज़्यादातर हिस्सा इस film का Mumbai और Goa बताया गया, ये बात जरूर थोड़ी surprising लगी क्यूँकि जो गानों के videos में दिख रहा था वो किसी विदेश की location लग रही थी।
Anyway, आते हैं film की कहानी पर, तो इसमें कोई नया major twist नहीं जोड़ा गया है। हमारे hero राजू को एक छोटी सी back story ज़रूर दी गई, मगर उसका कोई payoff नहीं दिया गया। इस नए edition में कुछ character के नाम भी बदले गए हैं, जैसे चौधरी होशियरचंद अब Jeffery Rozario हो गए और मालती हो गई Sara, बाकी राजू, दीपक, अंजू, अब भी वही रहे। राजू के alter ego का नाम जरूर इस बार कुँवर राज प्रताप सिंह हो गया। मगर वो इतना बड़ा change नहीं लगा। शक्ति कपूर का किरदार राजपाल यादव को दिया गया, जो कि अधिकांश film में अनुपस्थित रहा। Rozario साहब का किरदार Paresh Rawal साहब ने निभाया, मगर Kader Khan वाले जादू को match नहीं कर पाए। शायद यह उम्मीद करना भी काफ़ी ग़लत होगा, क्यूँकि कादर खान जैसे Marvel, फिल्म इंडस्ट्री में दोबारा कोई नहीं दिखे।
#MissYouKaderKhanJi
बात की जाए Varun Dhawan की, तो जहां उन्होंने Main Tera Hero में गोविंदा और सलमान से प्रेरित किरदार निभाया था, वो digestable लगे थे, rather entertaining, I must say. Judwaa 2 में भी सलमान की परछाई बनकर tolerable लगे। मगर गोविंदा की फिल्म में गोविंदा की बराबरी कर पाना मुश्किल ही नहीं, लगभग impossible काम था। कादर खान और गोविंदा की जोड़ी के ‘ज’ को भी परेश और वरुण नहीं छू पाए। सारा अली खान ने सारा का character प्ले किया। और मुझे कुछ ज़्यादा appealing नहीं लगा। जब सारा मुस्कुरा रही होती, तो उनके Simmba के किरदार जैसी लग रही होती, या जब उदास होती, तो उनके Love Aaj Kal के किरदार की तरह लगती। शायद सारा को अभी तक वो एक film नहीं मिली जिसमें उनकी सही capabilities का अंदाज़ा लगाया जा सके।
शायद नए version को पुराने से compare नहीं करना चाहिए, मगर जब आप पुराने को नया कर ही रहे हैं, तो लाज़मी है कि पुराने की बाट पर नए को तोला जाएगा। By the way, क्यूँकि मैंने कुछ देर पहले comparison की बात कही थी, मुझे लगा ये बता देना चाहिए कि मैंने original Coolie No. 1 काफी समय पहले देखी थी और जान बूझ कर इस version के पहले दोबारा नहीं देखी ताकि मेरी इस movie के प्रति opinions, as original as possible हो पाए। without any major prejudice. शायद इसी कारण से मैं point to point comparison शायद ना ही कर पाउन, मगर एक overall perspective से, ये वाला coolie थोड़ा बासी खिचड़ी सा लगा। जिसके चावल तो चुड़े थे, पर स्वाद बिगड़ गया था।
जहाँ एक ओर बिगड़ा हुआ स्वाद समेटे, दढेल तेल में तली पूरियाँ थी, तो वहीं एक नए स्वाद के साथ बनी करारी भुजिया भी थी। मैं बात कर रहा हूँ Anil Kapoor और Anurag Kashyap starrer Vikramaditya Motwane की film, AK vs AK की। जहाँ मुझे भी आप में से कई लोगों की तरह, इस movie के लिए लिया गया fake twitter war पसंद नहीं आया था, वहीं इस movie को देखने में मुझे बे-हद मज़ा आया। मैं ये कहते हुए बिल्कुल नहीं हिचकूँगा कि अनिल कपूर एक बेइंतहाँ मंझे हुए actor हैं। और उनकी अदाकारी एकतरफा है इस movie में। और साथ ही अनुराग कश्यप का relatively underexplored acting side भी इस film में उभर के आया है। आने वाले दिनों में इस movie की making और behind the scenes की footages देखना काफ़ी exciting होगा। क्यूँकि हर फ्रेम जो स्क्रीन से गुजर रही थी, मेरे दिमाग में एक सवाल छोड़ के जा रही थी कि ये कैसे shoot किया होगा इन्होंने।
मैं ये पूरे होश में कह रहा हूँ कि AK vs AK में सबसे बेहतरीन काम अनिल कपूर का नहीं है। बल्कि इस movie का star है इसकी Photography या Cinematography, आप जो भी कहें। आईनों और angles का जो बेहतरीन use यहाँ किया गया है, वैसा शायद ही किसी और film में देखा होगा मैंने। खासतौर पर chase sequences में। खैर, मैं इस film के plot के बारे में ज्यादा नहीं बताऊँगा, जो बताने लायक है, वो trailer में देखा जा सकता है, और बाकी का spoiler के रूप में classify किया जा सकता है।
अगर आप मेरी राय लेना चाहें, तो इस weekend, Coolie No. 1 की बजाय, AK vs AK देखना prefer कीजिए। इसमें आपको सही मात्रा में humour, action, thrill और wow factor सब मिलेगा। और ये सब एक fresh package में। बिल्कुल भी बासी नहीं।
Coolie No. 1 मत देखो। Watch AK vs AK instead.
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